बदरीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान से शीतकाल के लिए हुए बंद

विश्वप्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट श्री
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में शनिवार अपराह्न
तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी
श्रवण नक्षत्र में शीतकाल हेतु बंद हो गये। मौसम हालांकि आज साफ रहा और दिन में धूप खिली रही।
इससे कुछ दिन पहले यहां बर्फवारी हुई थी।


कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया तथा सिंह द्वार परिसर
में गढ़वाल स्काट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था‌। जय
बदरीविशाल के उद्घोष गूंज रहे थे। इस अवसर पर साढ़े पांच हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने
के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस अवसर पर
दानीदाताओं, भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये। कपाट बंद के पश्चात,
बदरीनाथ से रविवार प्रात: श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी की देव डोली पांडुकेश्वर तथा आदिगुरू शंकराचार्य
जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी।


कपाट बंद होने के शुभ अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजय ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा- निर्देशन में इस यात्रा वर्ष बदरीनाथ-
केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है। इस बार सबसे अधिक 38 लाख तीर्थयात्रियों ने बदरी- केदार के दर्शन
किए। जिनमें से आज कपाट बंद तक अठारह लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम
पहुंचे है। उन्होंने यात्रा में योगदान करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थानों को बधाई दी है।


मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर तक 18 लाख 36
हजार 519 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है। जो पिछले सभी यात्रा वषों में सबसे अधिक है।
उल्लेखनीय है कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी। इस दिन श्री गणेश जी के
कपाट बंद हुए, 15 नवंबर को आदि केदारेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए। इसके
अगले दिन 16 नवंबर को खडगपुस्तक पूजन तथा 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा कढाई भोग
संपन्न हुआ। आज रोजाना की तरह प्रात: महाभिषेक के बाद बालभोग लगा दिन में 11 बजे राजभोग
लगा उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ

, पौने एक बजे अपराह्न सांयकालीन पूजा शुरू हुई। पौने दो बजे
रावल जी ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान किया। इससे
पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। सवा दो बजे शायंकालीन भोग
तथा शयन आरती संपन्न हुई। ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल द्वारा कपाट बंद की रस्म पूरी
करते हुए भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल द्वारा हाथ से बुना गया ऊंन का घृत कंबल

औढाया गया।

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