दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वरिष्ठ महिला नागरिक की याचिका पर
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्लूबीआई) एवं अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। याचिका में
आवारा कुत्ते-बिल्लियों को खिलाने और उनकी देखभाल करने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की
गई है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसे कुत्ते-बिल्लियों को खाना खिलाने से रोक दिया गया है। इलाके
में कुत्ते-बिल्लियों को खाना खिलाना बंद करने के लिए उसे कई महीनों से परेशान किया जा रहा है।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सोमवार को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली पुलिस, एमसीडी और प्रगति
विहार हॉस्टल आरडब्ल्यूए को नोटिस जारी किया है। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 25 मई की
तारीख तय की है।
याचिकाकर्ता माला तुली एक रिटायर टीचर हैं। उन्होंने वकील निर्भय कुमार, निशांत
मंडल अभय और दिव्या जयसवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने
प्रतिवादियों को निर्देश दिए जाने की मांग की है,
ताकि उनको अपने इलाके में जानवरों, विशेषकर कुत्तों
और बिल्लियों को खिलाने और उनकी देखभाल करने की अनुमति मिल सके। याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों
से आवासीय क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को भोजन कराने के लिए स्थान सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने
की मांग भी की है ताकि जानवरों को नियमित भोजन दिया जा सके और याचिकाकर्ता की ओर से बिना
बाधा के उनकी देखभाल की जा सके। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता 16 साल से प्रगति विहार
छात्रावास के पास अपने आवास और उसके आसपास बिना किसी एनजीओ की मदद से कुत्तों को भोजन
उपलब्ध करा रही हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उसको कई वर्षों से अपने निवास स्थान के आसपास
आवारा कुत्तों को खाना खिलाने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय आरडब्ल्यूए और सुरक्षा
गार्डों की ओर से बाधाएं पैदा की जा रही हैं, जिन्हें जानवरों से संबंधित बुनियादी कानूनों की जानकारी
नहीं है। इन लोगों का आवारा कुत्तों के प्रति घृणा और लापरवाही का रवैया है। याचिका में कहा गया है
कि उसे अब कुत्तों को खाना खिलाने से रोका जा रहा है।