Greater noida अजनारा होम्स में गंदे पानी का कहर

टावर एम की महिलाओं का गुस्सा फूटा आमरण अनशन की चेतावनी

 

Greater noida वेस्ट की अजनारा होम्स सोसाइटी के टावर एम में रहने वाले सैकड़ों परिवार इन दिनों एक भयावह संकट से जूझ रहे हैं। साफ-सुथरे और सुरक्षित जीवन का सपना दिखाने वाली यह हाई-राइज सोसाइटी अब बीमारी का गढ़ बन चुकी है।

8 अप्रैल को शुरू हुआ दूषित पानी का संकट आज भी बरकरार है, जिसके चलते 600 से अधिक लोग—बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं—उल्टी, दस्त और पेट दर्द की चपेट में आ चुके हैं। कईयों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जबकि परिवारों में हाहाकार मचा हुआ है।हम नरक में जी रहे हैं!”टावर एम की निवासी श्रीमती नूतन, आंसुओं के साथ कहती हैं, “मेरा बेटा यथार्थ अस्पताल में भर्ती था, मैं खुद बीमार थी। एक वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो गया।वहीं, अंजली पूछती हैं, “क्या हम हाई-राइज में रह रहे हैं या किसी नरक में?” निवासी अनीता का दर्द भी कम नहीं, “बच्चों का स्कूल छूट रहा है, दवाइयों का खर्च बढ़ रहा है, और ऊपर से ये जहरीला पानी। अब तो बाहर से पानी मंगवाना पड़ रहा है।

रोहिणी, एक मां, भावुक होकर कहती हैं, “मेरे बच्चे रोज पूछते हैमम्मी, पानी ठीक है ना? मैं क्या जवाब दूं?” दीपिका ने बताया, “पति बीमार, मैं बीमार, बच्चे बीमार—ये समय कैसे गुजरा, मैं ही जानती हूं।

ई-कोली बैक्टीरिया ने बिगाड़ी सेहत:स्वास्थ्य विभाग की जांच में पुष्टि हुई कि सोसाइटी की पानी की टंकी में ई-कोली बैक्टीरिया की अत्यधिक मात्रा है, जिसके कारण पानी पीने योग्य नहीं है। 8 अप्रैल को विभाग ने सात दिनों के भीतर टंकी की सफाई का आदेश दिया था, लेकिन मेंटेनेंस एजेंसी ने इस आदेश को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। दो हफ्ते बाद भी टंकी की सफाई नहीं हुई। निवासियों ने खुद पानी की लैब जांच कराई, जिसकी रिपोर्ट और भी डरावनी थी—पानी अब भी जहरीला है।

मेंटेनेंस की लापरवाही, भंडारे पर ठीकरा:मेंटेनेंस मैनेजर ने शुरू में बीमारियों का दोष रामनवमी के भंडारे पर डालकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि वे निवासियों के सामने आने से भी कतरा रहे हैं। मेंटेनेंस ने पानी के सैंपल जांच के लिए भेजने का दावा किया, लेकिन न तो उनकी कोई रिपोर्ट सामने आई और न ही कोई समाधान। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और 2.54 करोड़ रुपये के बकाया जल शुल्क की वसूली की चेतावनी दी, लेकिन टंकी की सफाई अब भी अधूरी है।

सोसाइटी का बुरा हाल:दूषित पानी के अलावा, सोसाइटी की अन्य सुविधाएं भी बदहाल हैं। बेसमेंट में गंदगी और बदबू का आलम है, स्विमिंग पूल महीनों से बंद पड़ा है, लिफ्ट के बटन साल भर से खराब हैं, पार्क में धूल उड़ रही है, और टावर की दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है। निवासी इसे “खंडहर” की संज्ञा दे रहे हैं।

महिलाओं का गुस्सा, आमरण अनशन की चेतावनी

आज टावर एम की दर्जनों महिलाएं—कुमकुम बनर्जी, रीता श्रीवास्तव, भावना श्रीवास्तव, शिप्रा, अंजली, रोहिणी, दीपिका, अनीता सहित अन्य—मेंटेनेंस ऑफिस पहुंचीं और अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने दो टूक चेतावनी दी, “अगर 23 अप्रैल तक टंकी की सफाई और बुनियादी सुविधाएं ठीक नहीं हुईं, तो हम आमरण अनशन शुरू करेंगे। यह अब हमारे बच्चों की सेहत और परिवार की सुरक्षा की लड़ाई है।

प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल

निवासियों का गुस्सा सिर्फ बिल्डर पर नहीं, बल्कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग पर भी है। प्राधिकरण की पानी की जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं हुई? स्वास्थ्य विभाग ने टंकी सफाई के आदेश का पालन क्यों नहीं करवाया? निवासी सवाल उठा रहे हैं, “क्या किसी की जान जाने के बाद ही प्रशासन जागेगा?

सड़क पर उतरे निवासी

अजनारा होम्स की यह खामोशी अब निवासियों के गुस्से को ज्वालामुखी में बदल चुकी है। टावर एम की महिलाओं ने प्रदर्शन के जरिए अपनी आवाज बुलंद कर दी है। यदि मांगें पूरी न हुईं, तो उनका अगला कदम और बड़ा हो सकता है।

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