ओडिशा के पुरी में श्री गुंडिचा मंदिर में रथ यात्रा Rath Yatra के दौरान हुई भगदड़ में 3 की मौत
ओडिशा के पूरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा Rath Yatra निकल ही रही थी की सुबह भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई. इसके साथ ही करीब 50 श्रद्धालु घायल बताए जा रहे हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसमें से 5-6 लोगों की हालत काफी नाजुक है।

यह घटना उस समय हुई जब भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी शुभद्रा की मूर्तियों वाले तीन रथ श्री गुंडिचा मंदिर से गुजर रहे थे, जो जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर है, जहां से यात्रा शुरू हुई थी।
रविवार की सुबह करीब 4.30 बजे पवित्र रथ श्री गुंडिचा मंदिर से गुजर रहे थे। दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी. जैसे ही रथ पास पहुंचा तो भीड़ और तेजी से बढ़ने लगी। कुछ लोग गिर गए और भगदड़ मच गई। इस घटना में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. बताया जा रहा है कि मरने वाले लोग ओडिशा के ही रहने वाले हैं और रथ यात्रा Rath Yatra के लिए पुरी आए थे।
रथ यात्रा Rath Yatra के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी शुभद्रा की मूर्तियों वाले तीन भव्य रथों को भक्तों की भारी भीड़ खींचती है. पवित्र रर्थों को गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है. जगन्नाथ मंदिर लौटने से पहले तीनों देवता एक सप्ताह वहां बिताते हैं।

रथ यात्रा Rath Yatra को लेकर हुआ राजनीतिक घमासान
इस बार रथ यात्रा Rath Yatra शुरू होने में देरी को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया था।बीजेडी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसे भयानक गड़बड़ी करार दिया था. उन्होंने कहा, ‘हम बस प्रार्थना कर सकते हैं. महाप्रभु जगन्नाथ उन सभी को माफ करें जो इस साल इस दिव्य उत्सव पर हुई भयानक गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं।’ ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने श्री पटनायक का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक बयान देने के लिए बीजेडी की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘अतीत में बीजेडी सरकार ने भगवान जगन्नाथ का अपमान किया है।

आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ की यह विशाल रथ यात्रा Rath Yatra काफी विशाल होती है। जोकि प्रतिवर्ष जून माह में प्रारंभ होती है। वही आपको बता दे कि इस विशाल रथ यात्रा में विभिन्न जगहों से लोग आते है और इस रथ यात्रा का लाभ उठाते है। उसके साथ की रथ यात्रा के दौरान लोग रस्सी खींचकर लोग भगवान को उनके दूसरे स्थान तक ले जाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते है। लोगों का मानना यह है कि जगन्नाथ मंदिर से उनके रथ तक भगवान की रस्सी को दूसरी ओर ले जाने के लिए दूर दूर से लोग आते है।
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