छत्तीसगढ़ में शिक्षकों का बड़ा आंदोलन: 1.80 लाख Teacher/शिक्षक सड़कों पर उतरकर करेंगे प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर आंदोलन की आंच में झुलसने को तैयार है। अपनी लंबित मांगों को लेकर Teacher/ शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ के बैनर तले प्रदेशभर के 146 विकासखंडों में Teacher/शिक्षक कल हड़ताल पर रहेंगे। यह आंदोलन एक लाख अस्सी हजार शिक्षकों को एक साथ सड़कों पर लाने की तैयारी है, जो स्कूलों से बाहर आकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करेंगे और अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

सड़कों पर उमड़ेगा शिक्षकों का जनसैलाब
Teacher/ शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ के प्रदेश संचालक संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत और जाकेश साहू ने इस आंदोलन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की प्रमुख मांगों में एरियर्स राशि सहित क्रमोन्नति वेतनमान, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर पुरानी पेंशन बहाली सहित संपूर्ण लाभ, पदोन्नति में डीएड को भी मान्य किया जाना और वर्तमान में हुए युक्तियुक्तिकरण को रद्द कर 2008 का सेटअप लागू करना शामिल है।
शिक्षिका सोना साहू के तर्ज पर इन मांगों को लेकर कल प्रदेशभर की सड़कों पर शिक्षकों का एक विशाल जनसैलाब उमड़ने की उम्मीद है। यह दिखाता है कि शिक्षक समुदाय अपनी मांगों को लेकर कितना एकजुट और दृढ़ है।
23 Teacher/शिक्षक संगठनों का एक मंच पर आना
इस बार का आंदोलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रदेश के 23 Teacher/ शिक्षक संगठन एक मंच पर आकर Teacher/ शिक्षक साझा मंच का गठन किया है और इस बड़े आंदोलन का ऐलान किया है। इस एकजुटता से प्रदेश के लगभग एक लाख अस्सी हजार Teacher/ शिक्षक विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर रहेंगे। यह संख्या राज्य सरकार पर भारी दबाव बना सकती है। इससे पहले भी शिक्षकों ने राजधानी में जोरदार प्रदर्शन किया था और 15 से 30 जून तक काली पट्टी बांधकर स्कूलों में विरोध दर्ज कराया था, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी
साझा मंच के प्रदेश संयोजक मंडल ने सरकार को स्पष्ट और दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार उनकी मांगों और हड़ताल को हल्के में न ले, अन्यथा प्रदेश भर के समस्त स्कूलों में तालेबंदी कर सभी Teacher/शिक्षक अनिश्चितकालीन आंदोलन में चले जाएंगे। मंच ने साफ किया है कि यदि ऐसा होता है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। यह शिक्षकों के बढ़ते असंतोष और निराशा को दर्शाता है, जो उन्हें इस चरम कदम को उठाने पर मजबूर कर रहा है।

झूठे आश्वासनों से त्रस्त शिक्षक
शिक्षकों का आरोप है कि उनकी मांगों की लगातार उपेक्षा की जा रही है और उन्हें केवल झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं। उनका कहना है कि सभी तरह की स्थितियों को देखते हुए अब उन्हें यह कठोर कदम उठाना पड़ रहा है। स्कूलों को छोड़कर सड़कों पर उतरना उनकी मजबूरी है, ताकि सरकार उनकी लंबित मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे।
यह स्थिति राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है, क्योंकि शिक्षा व्यवस्था सीधे तौर पर प्रभावित होगी और छात्रों के भविष्य पर भी इसका असर पड़ सकता है। सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर ध्यान देना होगा और शिक्षकों के साथ सार्थक बातचीत कर समाधान निकालना होगा, ताकि यह आंदोलन लंबा न खींचे और शिक्षण कार्य प्रभावित न हो।